विश्व सुंदरी प्रयोगिता के बहाने केवल महिलाओं के शरीर को एक उपभोग की वस्तु बना कर बड़ी कंपनियों के उत्पादों को बेचने का काम करता है।
केंद्र और राज्य सरकारों को यह बताना चाहिए कि वे किन मूल्यों और सद्गुणों के लिए इस सौंदर्य प्रतियोगिता को आयोजित करवा रही हैं।
इन प्रतियोगिताओं का आयोजन करना महिलाओं के आत्मसम्मान का अपमान है, जो बाजार की जरूरतों के लिए उत्पादों को बेचने के लिए महिलाओं के शरीर की नाप तोल के जरिए शरीर के अंगों को दिखाने के लिए की जाती हैं। यह पूंजीवादी व्यवस्था महिलाओं के शरीर को एक वाणिज्यिक वस्तु में बदल कर रही है। इस तरह के आयोजन लड़कियों को प्रसिद्धि की सुनहरी दुनिया के सपने दिखाते हैं, लेकिन वास्तव में इन आयोजनों के माध्यम से महिलाओं का शोषण किया जाता है।
*दिल्ली के महिला संगठनों ने हैदराबाद में होने वाली 72वीं मिस वर्ल्ड सौंदर्य प्रतियोगिता को रद्द करने की मांग की!*
72वीं मिस वर्ल्ड सौंदर्य प्रतियोगिता 7 मई, 2025 से हैदराबाद में आयोजित की जाएगी। इसका ग्रैंड फिनाले 31 मई को होगा। दशकों से विरोध के बावजूद ये प्रतियोगिताएं दुनिया भर के विभिन्न देशों में आयोजित की जाती रही हैं। हमारे देश में भी 1996 में अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने यह प्रतियोगिता आयोजित की थी जिसका अत्यधिक विरोध हुआ था। विरोध प्रदर्शन के दौरान बैंगलोर में कई महिला संगठनों की कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। अंततः स्विमिंग पूल राउंड को भारत से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया। जागरूक और विवेकशील लोगो ने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया था, जिसके कारण आयोजक एबीसीएल को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
मिस वर्ल्ड सौंदर्य प्रतियोगिता भारत में 28 वर्षों के बाद पिछले वर्ष मुम्बई में आयोजित की गई थी। इस वर्ष भी यह भारत के हैदराबाद, तेलंगाना में आयोजित की जा रही है। यह अत्यंत दुखद है कि राज्य की समृद्ध हथकरघा विरासत, अद्भुत पर्यटन स्थलों और दुर्लभ व्यंजनों को प्रदर्शित करने के लिए घरेलू और विदेशी पर्यटकों को आमंत्रित करने हेतु सौंदर्य प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रम का चयन किया गया है। इन विशेषताओं को किसी अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी, सम्मेलन या समारोह के माध्यम से प्रदर्शित किया जा सकता है। इसके लिए महिलाओं की परेड करवाने वाली इस तरह की आपत्तिजनक प्रतियोगिता करवाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
यह भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ही है जो इन आयोजनों के लिए अनुमति दे रही है। यह अत्यंत दुखद है कि एक तरफ हिंदुत्ववादी ताकतें स्वयं को सांस्कृतिक संरक्षक होने का दावा करती हैं। लेकिन दूसरी तरफ कैसे कदम उठा रहे हैं? एक तरफ ये ताकतें अपनी पीठ पर बच्चे को बांधकर काम पर जाने वाली मां का महिमामंडन तो करते हैं, लेकिन उन कामकाजी महिलाओं के लिए न तो शिशु-गृहों, का इंतजाम करती हैं, न ही काम के घंटों में महिलाओं को कोई भी राहत प्रदान करती हैं, न ही उन्हें न्यूनतम मजदूरी प्रदान की जा रही है और ना ही जीवन की न्यूनतम जरूरतों को ही पूरा किया जा रहा है। आज महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं न ही सड़क पर जब वे काम करने के लिए बाहर निकलती हैं न ही कार्यस्थलों पर। सिर्फ इतना ही नहीं आज कार्यस्थल पर यौन हिंसा के मामलों में भी महिलाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
यह एक और त्रासदी है कि इस कार्यक्रम की मेजबानी करना कांग्रेस तेलंगाना सरकार की 120 से अधिक देशों की युवा महिलाओं की शारीरिक प्रदर्शन करने के लिए परेड करवाना मात्र है , जिसे महिला सशक्तिकरण के रूप में दर्शाया जा रहा है।
केंद्र और राज्य सरकारों को यह बताना चाहिए कि वे किन मूल्यों और सद्गुणों के लिए इस सौंदर्य प्रतियोगिता को आयोजित करवा रही हैं । इन प्रतियोगिताओं का आयोजन करना महिलाओं के आत्मसम्मान का अपमान है, जो बाजार की जरूरतों के लिए उत्पादों को बेचने के लिए महिलाओं के शरीर की नाप तोल के जरिए शरीर के अंगों को दिखाने के लिए की जाती हैं। यह पूंजीवादी व्यवस्था महिलाओं के शरीर को एक वाणिज्यिक वस्तु में बदल कर रही है। इस तरह के आयोजन लड़कियों को प्रसिद्धि की सुनहरी दुनिया के सपने दिखाते हैं, लेकिन वास्तव में इन आयोजनों के माध्यम से महिलाओं का शोषण किया जाता है। भारत , आज भी पुरातन सामंती मूल्यों और संस्कृति में जकड़ा हुआ है, जब हमारे घरों की लड़कियां सड़कों पर, कार्यस्थलों पर यौन हिंसा का सामना करती हैं, तो सारी उंगलियां लड़की की ओर ही उठती हैं कि उन्होंने कपड़े कैसे पहने हैं, वो अकेले बाहर क्यों गई थी यहां तक कि उसने एक लड़की के रूप में जन्म ही क्यों लिया था। टैलेंट के प्रदर्शन और “मेरा शरीर मेरा अधिकार” के नारे आ की आड़ में, यह वास्तव में शारीरिक स्वायत्तता को महत्वहीन बना देना है। शरीर पर अधिकार का अर्थ मुख्य रूप से अपनी कामुकता पर नियंत्रण है, और इस उद्देश्य के लिए एकत्रित दर्शकों के सामने शरीर के अंगों को प्रदर्शित करना, तथा इस कार्यक्रम का विश्व भर में सीधा प्रसारण करना, वास्तव में महिला सशक्तिकरण की झूठी कहानी गढ़ता है। यह केवल महिलाओं के शरीर को एक उपभोग की वस्तु बना कर बड़ी कंपनियों के उत्पादों को बेचने का काम करता है। सरकार हमारे देश की महिलाओं की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं का मजाक उड़ाती है तथा सशक्तिकरण और मुक्ति के अर्थों को तोड़-मरोड़ कर पेश करती है। तेलंगाना में महिला संगठनों ने पहले ही इस सौंदर्य प्रतियोगिता के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है और हम दिल्ली की महिला संगठन मांग करते हैं कि राज्य और केंद्र सरकार इस प्रतियोगिता को तुरंत रद्द करें। महिलाओं के शरीर को उपभोग की वस्तु के रूप में तब्दील करने का पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए। हम महिलाओं के लिए समानता और वास्तविक सशक्तिकरण की मांग करते हुए इस सौंदर्य प्रतियोगिता को तुरंत रद्द करने की मांग करते हैं।
*आल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेन ऑर्गेनाइजेशन* *(AIDWA)*
*आल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन* *(AIMSS)*
*प्रगतिशील महिला संगठन दिल्ली*
*जिम्मेदारी समाज कल्याण संगठन* .
*अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संगठन (APWA)*
*नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन विमेन (NFIW)*
*सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग विमेन*
*पूरोगामी महिला संगठन*
26अप्रैल 2025.
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