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दिल्ली जल बोर्ड का 63000 करोड़ रुपये के पानी के पेंडिग बिल।

 केन्द्रीय गृहमंत्री,दिल्ली सरकार, केन्द्र सरकार सहित दिल्ली नगर निगम के विभिन्न विभागों से 63000 करोड़ रुपये के पानी के पेंडिग बिलों की वसूली के निर्देश जारी करें - देवेन्द्र यादव

 दिल्ली जल बोर्ड का केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार व निगम के महकमों के ऊपर 63000 करोड़ रुपये के पानी के पेंडिग बिल –

 केन्द्रीय गृहमंत्री,दिल्ली सरकार, केन्द्र सरकार सहित दिल्ली नगर निगम के विभिन्न विभागों से 63000 करोड़ रुपये के पानी के पेंडिग बिलों की वसूली के निर्देश जारी करें ताकि दिल्ली के कर दाताओं की खून पसीने का पैसा सरकारी खजाने में वापिस आ सके – देवेन्द्र यादव

 

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जलबोर्ड के बकाया बिल का बहुत बड़ा खुलासा किया है

हैरान करने वाली बात है कि दिल्ली जल बोर्ड के बिल अदा न करने वालें इन डिफॉल्टरों में एमसीडी पर 26,147 करोड़ रुपये बकाया, भारतीय रेलवे पर 21,530.5 करोड़ रुपये, दिल्ली स्वास्थ्य विभाग पर 6,684 करोड़ रुपये, दिल्ली पुलिस 6097 करोड़ रुपये, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग 1,506.5 करोड़ रुपये, दिल्ली विकास प्राधिकरण 372.8 करोड़ रुपये, दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम पर 260 करोड़ रुपये, पीडब्ल्यूडी पर 86.7 करोड़ रुपये, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड पर 74.1 करोड़ रुपये), केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग पर 189.1 करोड़ रुपये, शिक्षा विभाग-दिल्ली पर 31.9 करोड़ रुपये, दिल्ली मेट्रो पर 1.4 करोड़ रुपये, डीटीसी पर 1.1 करोड़ रुपये, केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय पर 19.4 करोड़ रुपये, शिक्षा मंत्रालय डीएसईयू पर 4.1 करोड़ रुपये, शिक्षा आईटीआई पर 4 करोड़ रुपये बकाया है। कुल मिलाकर दिल्ली सरकार के विभागों पर 33,295 करोड़ और केन्द्र सरकार के विभागों पर 29,723 करोड़ बकाया है। केन्द्र और दिल्ली सरकार पर कुल 63,019 करोड़ रुपये दिल्ली जल बोर्ड का बकाया है।

 

एआई – संवाददाता

नई दिल्ली, 29 जुलाई, 2025 – दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर जबरदस्त बाउंसर फेका है। कांग्रेस के इस बोन्सर से भाजपा एकदम से तिमिला गई होगी । बहरहाल आइये देखते कांग्रेस ने कैसे बोन्सर मारा।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र यादव ने पिछले 11 वर्षों से लगातार घाटा झेल रहे दिल्ली जल बोर्ड के दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार सहित दिल्ली नगर निगम के विभिन्न विभागों के 63000 करोड़ रुपये के पेंडिग बिलों के संदर्भ में केन्द्रीय गृहमंत्री को आज पत्र लिखकर चिंता जताई।

उन्होंने अपने पत्र लिखकर केन्द्रीय गृहमंत्री से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध किया कि वे दिल्ली के मुख्यमंत्री, वरिष्ठ अधिकारियों और संबंधित विभागों को केंद्र और दिल्ली सरकार के विभागों से तुरंत 63000 करोड़ की वसूली करने का निर्देश दे ताकि दिल्ली के करदाताओं की मेहनत की कमाई की वसूली हो सके।

डीपीसीसी अध्यक्ष ने गृहमंत्री से कहा कि दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और एमसीडी के जिन विभागों ने दिल्ली जल बोर्ड का पानी उपयोग करने के बाद करोड़ों रुपये का भुगतान नहीं करना दिल्ली के करदाताओं के साथ घोर अन्याय है।

जल बोर्ड समय पर अपने बिलों का भुगतान करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के खिलाफ रणनीति के तहत काम कर रहा है कि विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा पानी के बिलों का भुगतान न करने से हुए नुकसान को कवर करने के लिए घरेलू उपभोक्ताओं को बढ़े हुए बिल भेजता है।

श्री यादव ने कहा कि हैरान करने वाली बात है कि दिल्ली जल बोर्ड के बिल अदा न करने वालें इन डिफॉल्टरों में एमसीडी पर 26,147 करोड़ रुपये बकाया, भारतीय रेलवे पर 21,530.5 करोड़ रुपये, दिल्ली स्वास्थ्य विभाग पर 6,684 करोड़ रुपये, दिल्ली पुलिस 6097 करोड़ रुपये, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग 1,506.5 करोड़ रुपये, दिल्ली विकास प्राधिकरण 372.8 करोड़ रुपये, दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम पर 260 करोड़ रुपये, पीडब्ल्यूडी पर 86.7 करोड़ रुपये, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड पर 74.1 करोड़ रुपये), केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग पर 189.1 करोड़ रुपये, शिक्षा विभाग-दिल्ली पर 31.9 करोड़ रुपये, दिल्ली मेट्रो पर 1.4 करोड़ रुपये, डीटीसी पर 1.1 करोड़ रुपये, केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय पर 19.4 करोड़ रुपये, शिक्षा मंत्रालय डीएसईयू पर 4.1 करोड़ रुपये, शिक्षा आईटीआई पर 4 करोड़ रुपये बकाया है। कुल मिलाकर दिल्ली सरकार के विभागों पर 33,295 करोड़ और केन्द्र सरकार के विभागों पर 29,723 करोड़ बकाया है। केन्द्र और दिल्ली सरकार पर कुल 63,019 करोड़ रुपये दिल्ली जल बोर्ड का बकाया है।

श्री देवेन्द्र यादव ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि केन्द्र और दिल्ली सरकार पर कुल 63,019 करोड़ रुपये दिल्ली जल बोर्ड का कानूनन बकाया का भुगतान नही करने पर अड़े हुए है।

श्री यादव ने गृहमंत्री के संज्ञान में लाते हुए लिखा कि जब कांग्रेस दिल्ली में 15 वर्षों तक सत्ता में थी, तब जल बोर्ड एक लाभ कमाने वाला निकाय था।

उस दौरान दिल्ली में पुरानी, जर्जर पानी की पाइप लाइनों को बदलकर नई लाइनें बिछाकर पानी की लाईनों के नेटवर्क का विस्तार किया और राजधानी में विभिन्न विकास कार्यों को पूरा करने में मदद की, ताकि दिल्ली के अधिकांश हिस्सों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति की जा सके। इनमें सैंकड़ों अनधिकृत कॉलोनियां, पुनर्वास कॉलोनियां और जे.जे. क्लस्टर शामिल हैं।

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उन्हों ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के 11 वर्षों के भ्रष्टाचार से भरे कुशासन ने दिल्ली जल बोर्ड को हजारों करोड़ के कर्ज में डुबो दिया और दिल्ली में पानी के कारोबार को टैंकर माफिया के हाथों में सौंप दिया।

टैंकर माफिया के हावी होने के कारण गरीब आदमी तक को पीने और खाना पकाने की जरुरत पूरी करने के लिए बोतलबंद पानी खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा।

केजरीवाल सरकार की टैंकर माफिया के साथ मिलीभगत के कारण गरीब लोगों का शोषण हुआ और करदाताओं के पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने से दिल्ली जल बोर्ड वर्तमान में हजारों करोड़ का नुकसान भुगत रहा है।

उन्हों ने कहा कि भाजपा कई बड़े-बड़े वादे करके दिल्ली करके दिल्ली की सत्ता में आई।

जैसे जैसे “हम दिल्ली की जल आपूर्ति से संबंधित समस्याओं के लिए कोई बहाना नहीं बनायेंगे या दूसरों को दोष नहीं देंगे“, फिर भी भाजपा सरकार का यह चलन है कि अपनी गलतियों के लिए दूसरों पर दोषारोपण करती है।

रेखा गुप्ता सरकार को सत्ता संभालते ही विभिन्न विभागों से बकाया वसूलने की कार्यवाही कर सकती थी।

पानी और बिजली दो प्रमुख विषय है जिन पर दिल्ली के लोगों को हमेशा शिकायतें होती है क्योंकि अधिकांश कॉलोनियों में दूषित पानी, बढ़े हुए बिल और भुगतान में देरी पर भारी जुर्माना झेलना पड़ता है।

श्री देवेन्द्र यादव ने कहा कि दिल्ली कांग्रेस में पिछले कई वर्षों से दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते रहे हैं।

पिछली केजरीवाल सरकार की भ्रमित करने वाली “मुफ्त“ जल योजना के कारण दिल्ली की जल आपूर्ति व्यवस्था केवल बर्बाद हो गई और दिल्ली जल बोर्ड का नुकसान बढ़ता गया।

यही नही केजरीवाल सरकार ने लंबित बकाया बिलां की वसूली करके दिल्ली जल बोर्ड में वित्तीय अनुशासन लाने के संबध में भी कोई प्रयास नहीं किया गया।

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