मोहन भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख सरकार में न होते हुए भी उन्हें भारत सरकार द्वारा एडवांस्ड सिक्योरिटी लायज़न (एएसएल) की सुरक्षा प्रदान की गई है। सरकारी खज़ाने से इन पर खर्च क्यूँ? ???? आखिर सरकार आरएसएस पर खर्च क्यूँ कर रहीचाहती है ?
एस. ज़ेड. मलिक
इन दिनों भारत कई जटिल समस्याओं से घिरा पड़ा है, और यह समस्या स्वयं सरकार ने पैदा की है। 2014 के बाद से अब तक केवल हिंदुत्व के नाम पर वोट बैंक बनाने के लिये धर्मिक तुष्टिकरण कर भारत की आम जनता को हाशिय पर ला कर खड़ा कर दिया, 10 वर्षों से अब तक अपनी सरकार को झेलती जनता को अपने गलतियों का एहसास होने लगा, धर्म बचाने के नाम पर जहां युवाओं में 62,% की बेरोजगारी बढ़ी वहीं महंगाई में लगभग 2013 से अबतक 50.5 % की बढ़ोतरी हुई है। परन्तु सरकार में बैठे मनुवादी विचारधारा के गिने चुने लोग मंदिर माफियाओं, शराब माफियाओं और भूमाफियाओं को बढ़ावा दे कर जहां एक ओर पूंजीवाद को बढ़ावा देते हुए निम्नलिखित पूंजीपतियों को मजबूत बना कर उनके हांथों भारत की अर्थव्यावस्था संचालित करने की शक्ति प्रदान कर रहे हैं जिसके कारण भारतवर्तमान में कई जटिल परिस्थितियों का सामना कर रहा है, जिनमें से कुछ प्रमुख चुनौतियाँ इस प्रकार हैं:
*आर्थिक चुनौतियाँ*
– *मंद आर्थिक वृद्धि*: भारत की आर्थिक वृद्धि दर धीमी हो रही है, जो वैश्विक व्यापार तनाव और वित्तीय संकट के कारण हो सकती है। समाधान के रूप में, सरकार निजी निवेश को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए नीतियों पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। जिससे भारत की अर्थव्यावस्था पूंजीवादियों की गुलाम हो जायेगी।
– *बेरोजगारी*: बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है, खासकर युवाओं के बीच। समाधान के लिए, सरकार कौशल विकास कार्यक्रमों और शिक्षा प्रणाली में सुधार पर ध्यान केंद्रित करे तो बेरोजगारी कम हो सकता है।
– *महंगाई*: महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए, सरकार मौद्रिक नीति को सख्त कर सकती है और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बढ़ा दे तो महंगाई दर बहुत कम हो सकती है, लेकिन सरकार ऐसा नहीं करेगी इसलिये की उनके द्वारा बनाये गये पूंजीपतियों को नुकसान होगा और चुनाव पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
*वैश्विक चुनौतियाँ*
– *वैश्विक व्यापार तनाव*: वैश्विक व्यापार तनाव भारत के निर्यात और आर्थिक वृद्धि को प्रभावित कर सकता है। समाधान के रूप में, सरकार व्यापार समझौतों और द्विपक्षीय संबंधों पर ध्यान केंद्रित करे तो बेहतर होगा लेकिन सरकार ऐसा नहीं करेगी, इससे सीधा आरएसएस के नीतियों पर बुरा असर पड़ेगा।
– *जलवायु परिवर्तन*: जलवायु परिवर्तन भारत के लिए एक बड़ा खतरा है, जिसके लिए सरकार को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार ऐसा नहीं करेगी इसलीय की सरकार के विशेष प्रतिनिधिओं को दलाली करने मे नहीं बनेगा जलवायु परिवर्तन प्रकृतिक आपदा की तरह है।
*आंतरिक चुनौतियाँ*
– *शिक्षा और कौशल विकास*: भारत को अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार करने और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है ताकि युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए जा सकें। सरकार जिस महकमे से जो भी कर्मचारी सेवनिरवृत के बाद जो पद भरा जाना चाहिय वह खाली पड़ा हुआ है बल्कि उस पद पर उसे व्यक्ति की कार्य करने के लिय दुबारा से काम करने के लिय सरकार खुशामत करती है उस पद उसे सेवानिर्वरित व्यक्ति से कम पैसे मे काम लेती है लेकिन सरकार उस पद के लिय बहाली नहीं निकालती है। यह सरकार का कौशल विकास ।
– *स्वास्थ्य सेवाएं*: भारत को अपनी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने की आवश्यकता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, भारत सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए। लेकिन सरकार अतिरिक्त खर्चा ककरना नहीं चाहती ।
– *निजी निवेश को बढ़ावा देना*: सरकार निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीतियों पर ध्यान केंद्रित कर सकती है, जैसे कि उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना।
– *रोजगार के अवसर पैदा करना*: सरकार रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों और शिक्षा प्रणाली में सुधार पर ध्यान केंद्रित कर सकती है।
– *नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करना*:
यदि सरकार नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करे और जल संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा दे तो इससे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से भारत को कई लाभ मिल सकते हैं:
*भारत के लिए लाभ*
– *ऊर्जा सुरक्षा*: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर, पवन और जलविद्युत ऊर्जा से भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा में सुधार कर सकता है और आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर सकता है।
– *आर्थिक विकास*: नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश से भारत में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है और रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं।
– *पर्यावरण संरक्षण*: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन करने से वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आ सकती है, जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिल सकती है।
*आम गरीब जनता के लिए लाभ*
– *सस्ती ऊर्जा*: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन करने से ऊर्जा की लागत कम हो सकती है, जिससे आम गरीब जनता को सस्ती ऊर्जा मिल सकती है।
– *रोजगार के अवसर*: नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं, जिससे आम गरीब जनता को आय के नए स्रोत मिल सकते हैं।
– *स्वास्थ्य लाभ*: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन करने से वायु प्रदूषण में कमी आ सकती है, जिससे आम गरीब जनता के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
*भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की संभावनाएं*
– *सौर ऊर्जा*: भारत में सौर ऊर्जा की विशाल संभावनाएं हैं, खासकर राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में।
– *पवन ऊर्जा*: भारत में पवन ऊर्जा की भी अच्छी संभावनाएं हैं, खासकर तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में।
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करने से भारत न केवल अपनी ऊर्जा सुरक्षा में सुधार कर सकता है, बल्कि आम गरीब जनता को भी कई लाभ प्रदान कर सकता है।
मोहन भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख सरकार में न होते हुए भी उन्हें भारत सरकार द्वारा एडवांस्ड सिक्योरिटी लायज़न (एएसएल) की सुरक्षा प्रदान की गई है। सरकारी खज़ाने से इन पर खर्च क्यूँ? ???? आखिर सरकार आरएसएस पर खर्च क्यूँ कर रहीचाहती है ?
मोहन भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख हैं, जो भारत में एक प्रभावशाली सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है। उनकी भूमिका आरएसएस के विचारों और कार्यक्रमों को आकार देने और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण है। भागवत के सार्वजनिक भाषणों और उपस्थितियों पर密切 नजर रखी जाती है, और उनके विचार अक्सर विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों पर प्रभाव डालते हैं।
भारत सरकार में उनकी कोई सीधी भूमिका नहीं है, लेकिन उनके प्रभाव और महत्व को देखते हुए, उन्हें उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्रदान की गई है। वर्तमान में, भागवत को एडवांस्ड सिक्योरिटी लायज़न (एएसएल) प्रोटेक्टी के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के समान है। इस सुरक्षा श्रेणी में शामिल हैं¹ ²:
– *एएसएल प्रोटेक्शन*: इसमें स्थानीय एजेंसियों की भागीदारी, जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य, और अन्य संबंधित विभागों के साथ समन्वय शामिल है।
– *बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा*: भागवत की सुरक्षा के लिए कड़े एंटी-साबोटेज जांच और बहुस्तरीय सुरक्षा घेरे होंगे।
– *पूर्व नियोजित समीक्षा और सुरक्षा अभ्यास*: उनके प्रवास, यात्राओं, और बैठकों के लिए कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल होंगे, जिनमें पूर्व नियोजित समीक्षा और सुरक्षा अभ्यास शामिल हैं।
भागवत को यह सुरक्षा इसलिए प्रदान की गई है क्योंकि उन्हें कई आतंकवादी और उग्रवादी संगठनों से खतरा है। सरकार ने उनकी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए यह कदम उठाया है, खासकर उन राज्यों में जहां उनकी सुरक्षा में कमी पाई गई थी।
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