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उर्दू भाषा के भविष्य पर विकसित भारत विज़न 2047 का त्रिदिवसीय सेमिनार

80 के दशक तक सरकारी राजभाषा में गिनी जाती थी, न्यायिक दस्तावेज़ उर्दू और फारसी में लिखे जाते थे - फिर आज उर्दू विशेष सामुदायिक भाषा बना कर उसके साथ सौतेलापन क्यों किया जा रहा है?

उर्दू भाषा के भविष्य पर विकसित भारत विज़न 2047 का त्रिदिवसीय सेमिनार

एस . ज़ेड. मलिक
नई दिल्ली – राष्ट्रीय उर्दुभाषा विकास परिषद नई दिल्ली के तत्वाधान में “उर्दू के भविष्य पर विकसित भारत 2047” का विज़न, के विषय पर 22 से 24 को बापू टावर गरदनि बाग पटना में त्रिदिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा, जिसमे उर्दू भाषा के वर्तमान स्थिति के साथ विकसित भारत के निर्माण में इसकी अपेक्षित भूमिका के विभिन्न पहलुओं पर लेख प्रस्तुत किए जाएंगे, साथ ही एक परिणामस्वरूप इस बात पर भी चर्चा भी होगी, जिसमे यह प्रश्न खड़ा है कि उर्दू क्या केवल मुसलमान की भाषा है ? जबकि उर्दू भारत मे पैदा हुई पली और बढ़ी, और फिर 80 के दशक तक सरकारी राजभाषा में गिनी जाती थी, न्यायिक दस्तावेज़ उर्दू और फारसी में लिखे जाते थे – फिर आज उर्दू विशेष सामुदायिक भाषा बना कर उसके साथ सौतेलापन क्यों किया जा रहा है?
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उक्त जानकारी काउंसिल के निदेशक डॉ. शम्स इकबाल ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि विकसित भारत एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय योजना है और एक सामूहिक सपना है, जिसे सच करने में अन्य क्षेत्रों के साथ -साथ देश की सभी भाषाओं में उर्दू की एक महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
इस संबंध में उर्दू भाषा की भूमिका इस अर्थ में बहुत अर्थ है कि यह भाषा हमेशा राष्ट्रीय आकांक्षाओं के लिए प्रखर रही है, और राष्ट्रीय सद्भाव की स्थापना और स्थिरता और इस देश की बहुलवादी संस्कृति की सुरक्षा समय समय पर उर्दू भाषा ने देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के मद्देनजर, परिषद तीन -दिवसीय सेमिनार का आयोजन कर रही है जिसमें विकसित भारत के संबंध में उर्दू भाषा के भविष्य पर चर्चा की जाएगी।
डॉ. शम्स इकबाल ने कहा कि इस सेमिनार में हमने वरिष्ठ विद्वानों, भाषाविदों को आमंत्रित किया है और इस महत्वपूर्ण विषय के सभी संभावित पहलुओं को कवर करने के लिए एक नई पीढ़ी को एक मंच भी प्रदान किया है।
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उन्होंने आगे कहा कि 22 अगस्त को सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि बिहार के गवर्नर मानिये श्री आरिफ मुहम्मद खान, करेंगे तथा गार्ड ऑफ ऑनर   कथा लेखक सैयद मोहम्मद अशरफ होंगे और विशिष्ट प्रो. डॉ. फैज़ान मुस्तफा और सुश्री कामना प्रसाद होंगी।
डॉ. शम्स इकबाल ने आगे बताया कि 23 और 24 अगस्त को छह तकनीकी सत्र होंगे, जिसमें राज्य के सबसे चुने हुए विद्वान भाग लेंगे और भारत में उर्दू भाषा का भविष्य क्या होगा, बातचीत की एक श्रृंखला होगी,  लेख पढ़े जाएंगे और चर्चा की जाएगी।  उल्लेखनीय है कि इस तीन -दिन सेमिनार में, तकनीकी सत्रों के अलावा, शाम ए ग़ज़ल, महफ़िल ए शायर ए सुख़न भी आयोजित किए जा रहे हैं।

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