आख़िर ये कैसे जानेंगे दर्द सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं पढ़ते राजनेताओं के बच्चे* सरकारी स्कूल तब तक नहीं सुधरेंगे, जब तक उनकी छतों के नीचे ‘किसी मंत्री का बेटा’ किताब न खोले। जब तक कोई ‘अफसर की बेटी’ लाइन में खड़े होकर मिड डे मील न खाए। जब तक कोई ‘विधायक का पोता’ ब्लैकबोर्ड […]
डिग्रियों की दौड़ में दम तोड़ते सपने_संभावनाओं की कब्रगाह बनते संस्थान *संस्थाएं डिग्रियां नहीं, ज़िंदगियां दें — तभी शिक्षा का अर्थ है* भारत में शिक्षा संस्थान अब केवल डिग्रियों की फैक्ट्री बनते जा रहे हैं, जहां बच्चों की संभावनाएं और संवेदनाएं दोनों दम तोड़ रही हैं। कोटा, हैदराबाद, दिल्ली जैसे शहर आत्महत्या के आंकड़ों से […]